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बीजेपी जेजेपी का आखिरी बजट,मन बना चुकी है जनता : सुरेंद्र राठी

पंचकूला

नरेश सरोहा : सत्ता हासिल करने के लिए जो वायदे भाजपा और जजपा ने किए थे, उन्हें वे अपने आखिरी बजट में भी पूरे नहीं कर पाए हैं। बुजुर्गों, दिव्यांग व विधवा पेंशन 5100 रुपये न होना, इनकी वादाखिलाफी का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस बजट में आंकड़ों की बाजीगिरी के अलावा और कुछ भी नहीं है। प्रदेश की जनता इस बजट को भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का आखिरी बजट बनाने का मन बना चुकी है। मीडिया को जारी बयान में ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के तहत दी जाने वाली पेंशन को 5100 रुपये करने का वायदा करने वाली जजपा के मुंह में अब दही जम गई है। सत्ता की मलाई चाटने से बेदखल न हो जाएं, इसलिए पेंशन को बढ़ाने की पैरवी भी जजपा के नेता नहीं कर पा रहे हैं। वही वजह है कि बुजुर्गों, दिव्यांगों, विधवाओं आदि की पेंशन मुख्यमंत्री ने बजट में 5100 रुपये करने की घोषणा नहीं की।
प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राठी ने कहा कि बजट में
16 00 करोड रुपए से घटकर 1451 करोड़ हुआ बजट
औद्योगिक प्रशिक्षण के बजट में 314 करोड़ की कटौती
ऊर्जा की क्षेत्र में 1212 करोड़ की कटौती
उद्योग एवं वाणिज्य के बजट में 463 करोड़ की शहरी विकास एवं ग्राम नियोजन में 72 करोड़ की कटौती
चिरायु-आयुष्मान योजना में लाभार्थी बढ़ाने के लिए उनसे अंशदान के तौर पर आमदनी के मुताबिक 1500 रुपये से 5 हजार सालाना लेकर निजी अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का सिर्फ ढोंग रचा गया है। अभी तक इस योजना के तहत जिस किसी का भी ईलाज किया गया है, उससे कितने ही धक्के खाने पड़े हैं। कितनी ही बार निजी अस्पताल सरकार से भुगतान न होने पर इलाज बंद करने की चेतावनी दे चुके हैं। प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राठी ने कहा कि अगर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य के बजट में भी 0.21 परसेंट की कटौती कर ली गई है। सबसे बड़ी डिमांड सरकारी बस सेवा का विस्तार करना, बस अड्डों की हालत को सुधारना थी, लेकिन परिवहन विभाग के बजट में 138 करोड़ की कटौती कर ली गई। जबकि, लंबे अरसे से भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार हरियाणा रोडवेज का निजीकरण करने की दिशा में कार्य कर रही है। किलोमीटर स्कीम के तहत परमिट जारी किए गए हैं और फिर से ऐसे रूटों की पहचान कर ली गई है, जिनके लिए परमिट जारी किए जाने हैं। प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राठी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट में प्रदेश में कहीं पर भी किसी राष्ट्रीय
या अंतरराष्ट्रीय स्तर के इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए कोई प्रावधान ही नहीं किया गया है। न ही किसी अन्य उच्च शिक्षा संस्थान के लिए रुपये का इंतजाम किया गया है। बल्कि बल्कि शिक्षा के बजट में भी 0.3% की कटौती कर ली गई है। इससे साफ है कि गठबंधन सरकार प्रदेश के अंदर शिक्षा दिलाने के लिए गंभीर ही नहीं है।

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