जरूरतमंदों का सहारा दे रही खुशियों की दीवार | कलम बाण
चरखी दादरी : सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही बेअसहारा लोगों की मुसीबत शुरु हो गई है। रैन बसेरा और अन्य योजनाओं से लोगों की मदद का दावा किया जाता है लेकिन इसकी हकीकत सड़क किनारे ठंड से ठिठुर रहे ये लोग बयां कर देते हैं। रेलवे स्टेशन, ईंट-भट्टों, फुटपाथ, बस स्टैंड सहित कई क्षेत्रों में सर्दी में मौसम में आपको परेशान होते हुए दिख जाएंगे। इसके इतर रजाई और कंबल किराए पर देने वालों का बिजनेस भी शुरु हो गया, लेकिन कोई इन्हें गर्म कपड़े दान कर इनकी मदद नहीं करता। चरखी दादरी निवासी रंगकर्मी संजय रामफल खुशियों की दीवार से एकत्रित किए सामान को सर्दी में जरूरतमंदों को देकर रिश्तों की गर्माहट लाने का कार्य कर रहा है। करीब सात वर्ष पहले दादरी के जिला न्यायालय परिसर में खुशियों की दीवार अभियान की शुरुआत की थी। साथ ही उन्होंने यहां कपड़ा बैंक चला रखा है, जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत के कपड़े ले जा सकता है।
हजारों लोगों की कर चुके मदद : संजय रामफल
अब तक हजारों लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कपड़े बांटे जा चुके हैं। अब सर्दी के इस मौसम में संजय अकेले ही टैम्पो में एकत्रित सामान को लेकर गरीबों के बीच पहुंचते हैं। उनकी जैसे ही खोलें अपनी खुशियों का पिटारा की आवाज सुनती है तो गरीब टैम्पों की ओर दौड़ पड़ते हैं।
गरीबों की हालत देखी तो शुरु किया अभियान
रंगकर्मी संजय रामफल कहते हैं कि वह मायानगरी मुम्बई में काफी वर्षों तक रहा है। गरीबों की हालत देखी तो उसने सेवा करने का अभियान चलाया। ना पास पैसे और ना ही साधन हैं फिर भी गरीबों की सेवा का जुनून लिए स्वयं ही गरीबों के बीच पहुंच जाता है और उनकी सेवा करता है। संजय कहता है कि झुग्गी झोपड़ी कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत नहीं होती है। अच्छे कपड़े खरीदने की बात तो दूर घर खर्च चलाना उनके लिए मुश्किल होता है। ऐसे लोगों की मदद के लिए कपड़ा बैंक खोलने का विचार मन में आया, जहां से लोग अपनी पसंद के कपड़े बिना रोक ले जाएं। जो भी अपने कपड़ों को अब नहीं पहनना चाहते, वे यहां आकर किसी भी आकार के कपड़े दे जाएं।
टैम्पो में भरकर कपड़े ले जाते और बांटते हैं
सर्दी का मौसम सुबह 9 बजे का समय, दादरी की झुग्गी झोपड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट-भट्टों, फुटपाथों पर टैम्पो लेकर पहुंच जाते हैं। संजय यहां रहने वाले गरीबों को गर्म कपड़े देकर रिश्तों की गर्माहट पैदा कर रहे हैं। कपड़े मिलने पर इन लोगों की आंखों में खुशी झलक रही थी। वहीं श्रमिकों ने बताया क हर वर्ष सर्दी के मौसम वे संजय उनके पाय टैंपो में कपड़े लेकर पहुंचते हैं और उनकी मदद करते हैं।