पलवल : खुशियां से भरे दीपावली के त्यौहार एक तबका ऐसा भी है। जो बदलते समय के नुकसान झेलते हुए निराश नजर आ रहा है और इस खुशियों से भरे पर्व को उनके लिए भी बेहतर बनाने के लिए मार्मिक अपील कर रहा है। क्या है ये पूरा मामला जानते इस खास रिपोर्ट में।
यूं तो दीपावली पर्व छोटे से छोटे दुकानदारो और सभी के लिए खुशियों से भरा होता है। हो भी क्यों ना इस समय हर व्यक्ति कुछ ना कुछ नया खरीदने के लिए बाजार की ओर निकल पड़ता है। दीपावली पर एक तबका ऐसा भी होता है। जो लोगों की इन छोटी-छोटी खुशियों में अपने परिवार की बड़ी खुशियां यानी रोजी – रोटी तलाशता हुआ बाजारों में फुटपाथ पर छोटी – छोटी दुकाने लगाकर ग्राहकों की ओर टकटकी लगा देखता रहता है। इन छोटे – छोटे दुकानदारों में ज्यादातर लोग ऐसे भी जिनके द्वारा दीपावली पर्व पर मिट्टी के दिए या मिट्टी से बने हुए बर्तनो के साथ – साथ सजावटी सामान जिनमें तस्वीरें, पोस्टर मूर्तियां कैलेंडर सहित काफी सामान बेचा जाता है। क्योंकि यह सामान आम दुकानों पर नहीं मिलता था। लेकिन इस बार बदलते समय ने इन छोटे दुकानदारों की चिंता को भी बढ़ा दिया है। अब यह दुकानदार कमाई तो दूर अपनी लागत को भी निकालने में अक्षम साबित हो रहे हैं।
क्या है ये पूरा मामला जानते इस खास रिपोर्ट में
इन दुकानदारों का कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग और बड़ी-बड़ी दुकानों ने उनके रोजगार का एक बड़ा हिस्सा आखिरकार छीन ही लिया है। अब यही फुटपाथ वाले सामान को ऑनलाइन बड़ी कंपनियों द्वारा एवं बड़ी-बड़ी दुकानों में बेहतरीन आकर्षक पैकिंग में बेचा जाता है। इस आकर्षण के चलते ग्राहक यह सामान उनसे ना खरीद कर बड़ी दुकानों और ऑनलाइन शॉपिंग की ओर आकर्षित हो चुका है। बेबस और नम आंखों से दुकानदार डालचंद और रोहित ने बताया कि इस बार जहां एक तरफ उन पर महंगाई की दोहरी मार पड़ रही है। वही दूसरी और ऑनलाइन शॉपिंग ने भी उनकी चिंताए और बढ़ा दी है। उनका का कहना है कि उन्होंने दीपावली पर्व पर लोगों के घरों के सजावट के लिए सजावट के सामान की छोटी दुकान लगाई हुई है। लेकिन इस बार सजावट के सामान के रेटों में दोगुना बढ़ोतरी होने के कारण ग्राहक उनके सजावट के सामान को खरीदने में आना – कानी कर रहे है। जिससे उन्हें अब यह लगने लगा है कि इस बार उनका त्यौहार फीका ही रहने वाला है। उन्होंने लोगों से भी मार्मिक अपील करते हुए कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग ना करके दुकानदारो से ही सामान खरीदे। जिससे कि उनका दीपावली का त्यौहार भी अच्छा बन सके और वह भी अपने परिवार के साथ दीपावली के पर्व हँसी – खुशी से मना सके। वही कुम्हार सूरजपाल का कहना है कि मिट्टी महंगी मिलने के कारण वह मिट्टी से बने हुए दिए व बर्तन भी महंगे बेच रहे है। जिसके चलते ग्राहक उनसे मिट्टी से बने हुए दिये व बर्तन ना के बराबर ही खरीद रहे है। करवाचौथ और अहोई अष्टमी का पर्व भी उनका फीका ही गया है। जिससे अब उन्हें यह डर भी सताने लगा है कि वह इस बार दीपावली के त्यौहार पर अपनी लागत भी निकाल पाएंगे या नहीं।