सदा के लिए चली गई उडऩपरी कल्पना चावला..
करनाल– सदा के लिए चली गई उडऩपरी कल्पना चावला.. पर छात्राओं के दिलों में आज भी जीवित है उड़परी, करनाल के टैगोर बाल निकेतन में पढ़ी कल्पना चावला की तरह दूसरी छात्राएं करना चाहती है देश का नाम रोशन,
करनाल एक फरवरी 2003 का दिन भारत ही नहीं पूरा विश्व कभी नहीं भूल सकता, चूंकि इस दिन भारत की बेटी कल्पना चावला की अंतरिक्ष यान की लैडिंग के दौरान मौत हो गई, आज करीब 20 साल बाद भी उडऩपरी कल्पना चावला की यादें हर किसी के जहन में है। ऐसा ही एक स्कूल टैगोर बाल निकेतन, जहां पर उडऩपरी कल्पना चावला पढ़ी थी ओर बहुत से साल स्कूल में गुजारे थे। स्कूल के हर कोने में कल्पना चावला की यादें बसी है ओर स्कूल प्रशासन ने उडऩपरी कल्पना की यादों को सहेजकर रखा है। कल्पना स्कूल में पढऩे वाली छात्रों के लिए प्ररेणा का स्त्रोत है, हर कोई कल्पना के साथ अपने आप को जोडक़र देश का नाम रोशन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हैं। इस काम में स्कूल प्रशासन पूरी तरह से मदद करता है, छात्र-छात्राओं को कल्पना चावला की जीवनी के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती हैं। कल्पना चावला की बदौलत पूरे विश्व में टैगोर बाल निकेतन का नाम रोशन हुआ। नतीजन हर साल दो बच्चे नासा में ट्रेनिंग के लिए जाते है। हालांकि पिछले 2 सालों से नासा में छात्र नहीं जा सकें, क्योंकि कोरोना काल के समय पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से लड़ रहा था, लेकिन उम्मीद है कि 2023 में दो छात्राएं नासा में जाएगी।
मयूरी, छात्र, टैगोर बाल निकेतन स्कूल, ने कहा हमें बहुत गर्व होता है, जब हम पता चला कि उडऩपरी कल्पना चावला हमारे स्कूल से पढ़ी है। जिसकी बदौलत पूरे विश्व में भारत व स्कूल, फैमिली का नाम रोशन हुआ। कल्पना दीदी देश को उन्नति की राह पर पहुंचाने में बहुत मदद की। हम सभी कल्पना चावला से प्रेरित होकर देश का नाम रोशन करना चाहते है। उन्होंने कहा कि कल्पना चावला की याद में स्कूल में हॉल बनाया हुआ है, जिसमें कल्पना चावला के जीवन के बारे में हर चीज को बहुत अच्छे से समेटा हुआ है ताकि विद्यार्थी उनके बारे में देखकर, पढक़र, सुनकर आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि मैं आगे जाकर डॉक्टर बनकर देश व फैमिली का नाम रोशन करना चाहती हूं।
सानवी, छात्र, टैगोर बाल निकेतन, कल्पना चावला उनके स्कूल से पढ़े हुए है, हम सब उनसे मोटिवेट होते है। स्कूल में कल्पना दीदी के बारे में लगातार बातें होती है। उनके कई विचार है, जो भी आप करें, उसे पूरी एॅजोय से करें तभी आप उस चीज में सफल हो सकते है। उनकी पूण्यतिथि हर साल मनाई जाती है, उनका अंश आज भी हमारे स्कूल में मौजूद है ताकि बच्चे उनसे प्रभावित हो। उन्होंने कहा कि मैं उनसे पर्सनली भी प्रभावित हूं। भारत की वे पहली अंतरिक्ष यात्री है, जो एयर स्पेस में गई। उन्होंने अपने देश, स्कूल व फैमिली का नाम रोशन किया, ये बहुत बड़ी उपलब्धि है, मैं भी अपने फील्ड में बहुत आगे जाना चाहती हैं ताकि मेरी वजह से देश, स्कूल व परिवार का नाम रोशन हो। स्कूल में कल्पना चावला के बारे में बारीकी से जानकारी दी जाती है। उन्हें दुख होता है कि कल्पना चावला ने अपना सपना तो पूरा किया, लेकिन वे उसे देख न सकीं।
ऋचिता तौमर, छात्र टैगोर बाल निकेतन स्कूल कल्पना चावला के बारे में पूरा विश्व जानता है, वो हमारे स्कूल से पढ़ी है। जिस तरीके से उन्होंने अपना योगदान नासा को दिया है,हमारे देश का नाम रोशन किया हे। मैं भी उसी तरह नासा जाना चाहती हूं, उनके मार्ग पर चलना चाहती हूं। कल्पना चावला न केवल उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत है, बल्कि हमारे लिए मोटिवेशन है। हमें हर रोज स्कूल में आकर कल्पना चावला से प्ररेणा व मोटिवेशन लेकर आगे बढऩा है। हमें भी अपनी फील्ड में बड़ी शिद्दत से आगे बढऩा है, अपने देश व स्कूल, परिवार का नाम रोशन करना है। हमें कल्पना दीदी के बारे में बताया जाता है, आज भी बहुत सी चीजे है, जिन्हें हम नहीं जानते है। जिस तरीके से कल्पना दीदी ने पूरी दुनिया को आगे बढ़ाने का काम किया है। हम भी ऐसा ही करना चाहते है।
नित्या, छात्र, टैगोर बाल निकेतन स्कूल ये हमारे लिए गर्व की बात है, जिस स्कूल में कल्पना चावला पढ़ी है, हम भी इसी स्कूल में पढ़ रहे है। जो हमारे लिए बेहद गर्व की बात है। हम भी कल्पना चावला की तरह ही नासा जाना चाहती हूं ताकि हम भी देश व करनाल का नाम पूरे विश्व में चमका सकें। यही नहीं स्कूल भी छात्रों को बहुत सहयोग देते है कि वे आगे बढ़ सकें, नासा जा सकें। उन्होंने कहा कि कल्पना दीदी के बारे में बताया जाता है कि वे जो भी काम करती थी, उसमें पूरी मेहनत ओर एंजॉय से करती थी। उन्होंने कहा कि कल्पना चावला बहुत छोटे से शहर से बहुत आगे तक गई। उन्होंने कहा कि कल्पना दीदी हर फील्ड में आगे थी।
प्रिंसिपल, टैगोर बाल निकेतन स्कूल,टैगोर परिवार की ओर कल्पना चावला को श्रद्धाजंलि देना चाहता हू कि जो जाते-जाते स्कूल को पूरे विश्व में प्रसिद्धी दिला गई। उनकी बदौलत ही दो छात्र हर साल नासा जाते है। उन्होंने कहा कि स्कूल व शहर की बच्ची जो यहां पर पली पढ़ी, जब अंतरिक्ष गई तो एक टीशर्ट मांगी थी, जिस पर स्कूल का नाम लिखा था। उसे बनवाकर कल्पना चावला के पास भेजा गया था। उन्होंने कल्पना चावला के बारे में बताते हुए कहा कि कल्पना चावल धरातल से नीचे की लडक़ी थी, वे बड़ी तरक्की पर पहुंचकर भी अपने आपको बड़ा नहीं समझती थी। उनकी यादों को स्कूल ने सहेज कर रखा हुआ है। उन्होंने कहा कि हर साल स्कूल के दो बच्चे नासा जाते है, लेकिन कोरोना काल में नहीं जा सके। उन्हें उम्मीद है कि 2023 में स्कूल से बच्चे नासा जाएगे।