गांव मिट्टी में मेहनत कर अतुल साहू ने एशियन चैम्पियनशिप में जीता सोना
चरखी दादरी। हौंसले अगर बुलंद हो और टारगेट लेकर आगे बढ़े तो कुछ भी हांसिल किया जा सकता है। ये पक्तियां चरखी दादरी के गांव रानीला निवासी 17 वर्षीय अतुल साहू पर फीट बैठती हैं। अतुल ने गांव की मिट्टी में मेहनत की और कुवैत में आयोजित एशियन एथलीट प्रतियोगिता में अपना बेहतर प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। अतुल साहू के गोल्ड लेकर गांव में पहुंचने पर ग्रामीणों ने कार्यक्रम कर उसे सम्मानित किया। साथ ही ग्रामीणों व खेल प्रशिक्षकों ने अतुल की इस उपलब्धि पर खुशियां मनाते हुए सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार द्वारा खिलाडिय़ों को समय पर मदद दे देती है तो यहां की प्रतिभाएं अंतर्राष्ट्रीय स्तर व ओलंपिक खेलों में देश को सोना दिलाने में कामयाब होंगे।
एशियन चैम्पियनशिप के डिस्कस थ्रो में जूनियर वर्ग में लिया था हिस्सा, ग्रामीणों ने सम्मानित किया
बता दें कि गांव रानीला निवासी 17 वर्षीय अतुल साहू का पिछले दिनों एशियाड स्कूली खेलों में चयन हुआ था लेकिन वह अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली हार के बाद भी अतुल निराश नहीं हुआ और मेहनत करते हुए आगे बढ़ा। हाल ही में कवैत में आयोजित एशियन एथलीट प्रतियोगिता में अतुल में 56.23 मीटर का थ्रो करते हुए देश को स्वर्ण पदक दिलाने में सफलता हासिल की है। अतुल के गांव लौटने पर ग्रामीणों ने खुली जीप से उसे समारोह स्थल पर लाया गया और उसे सम्मानित करते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की।
अतुल ने बताया कि पहली बार एशियाड स्कूली खेलों में हार मिली तो मेहनत के बूते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोना जीतने का संकल्प लिया। माता-पिता व प्रशिक्षकों की मदद से मेहनत की और आज उसे एशियन चैंपियनशीप में गोल्ड मिला है। अतुल के पिता पहलवान नफे साहू ने कहा कि बेटे की मेहनत के बूते और गोल्ड मिला है जो गांव व क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश व देश को समर्पित किया है। वहीं खेल प्रशिक्षक कृष्ण कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा खिलाडिय़ों को समय पर मदद दें तो वे ओलंपिक जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को मेडल दिलाने में कामयाब होंगे।